यूपी में टीचर्स को मिला सपा का साथ! ऑनलाइन अटेंडेंस के मामले में योगी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
यूपी में परिषदीय प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में ऑनलाइन हाजिरी लागू किए जाने पर शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ खुलकर विरोध किया है. वहीं सपा सांसद राजीव राय ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है
यूपी में राज्य सरकार द्वारा सभी परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य किया गया था. वहीं ऑनलाइन हाजिरी लागू होने से विभिन्न शिक्षक संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वहीं सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर भी शिक्षक विरोध दर्ज करा रहे है. घोसी से सांसद राजीव राय ने भी एक पोस्ट के माध्यम से शिक्षकों के ऑनलाइन हाजिरी पर अपनी प्रतिक्रिया दी है
वहीं शिक्षकों के विरोध के चलते डीजी स्कूल शिक्षा ने शिक्षकों को ऑनलाइन हाजिरी लगाने के लिए आधे घंटे का अतिरिक्त समय दे दिया है. डीजी स्कूल शिक्षा ने एक पत्र के माध्यम से कहा था कि आठ जुलाई से शिक्षकों के विद्यालय आने का समय 7.45 से आठ बजे तक का है. लेकिन अब इसमें संशोधन के बाद 30 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जा रहा है. वहीं शिक्षक संगठनों ने प्रदेश के सभी जिलों में मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपेंगे. प्राथमिक शिक्षक संघ संबद्ध अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने आठ जुलाई को विधालयों में काली पट्टी बांधकर विरोध करने की घोषणा की है
सपा नेता व घोसी से सांसद राजीव राय ने प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों के ऑनलाइन हाजिरी लगाने वाले आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि माननीय मुख्यमंत्री जी आपके अधिकारी मोटी कमीशन के लिए अनावश्यक सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप को सैकड़ों करोड़ में खरीदी की गई. बेसिक शिक्षा परिषद और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है. शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा अन्य कार्य करने पर मजबूर करते है, दिन भर मोबाइल फोन के ऐप में व्यस्त रहते है.
उन्होंने यह भी लिखा कि आप पता करिएगा जितने में ये सॉफ्टवेयर और ऐप खरीदे गए है. उतने पैसे में सभी स्कूलों में फर्नीचर, कंप्यूटर लैब,और अंग्रेज़ी सहित अन्य एक्सपर्ट टीचर रख के बच्चों को प्राइवेट स्कूल से ज़्यादा अच्छी शिक्षा दे सकते थे. आप इन अधिकारियों को बोलिए कि पहले सभी घूसखोर विभागों ने सबके लिए ऑनलाइन अटेंडेंस अनिवार्य करें,उसके बाद बारिश के मौसम में सुदूर गाँवों में पढ़ाने वाले शिक्षकों पर लागू करें