साइबर तहसील 2.0 लागू अब 10 दिन में नामांतरण और बंटवारा किसानों को नहीं काटने पड़ेंगे तहसील के चक्कर
मध्यप्रदेश सरकार ने साइबर तहसील 2.0 को प्रदेशभर में लागू कर दिया है। इस नई व्यवस्था से किसानों और आम नागरिकों को अब तहसील के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, और उन्हें राजस्व विभाग के भ्रष्टाचार से भी निजात मिलेगी। इसके तहत नामांतरण, बंटवारा, खसरा और नक्शे की ऑनलाइन कॉपी अब एसएमएस, ईमेल और व्हाट्सएप के माध्यम से सीधे घर बैठे उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा प्रदेश में शुरू की गई इस योजना के तहत पटवारी और तहसीलदार को 10 दिनों के भीतर नामांतरण, बंटांकन और नक्शा तरमीम की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके तहत किसानों को भटकाना अब कड़ी कार्रवाई के दायरे में आएगा। इस नई व्यवस्था के लिए सभी तहसीलदारों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है।
तहसील के चक्कर लगाने से मुक्ति:
साइबर तहसील की यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में लाई गई थी, जिसे अब मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशभर में लागू कर दिया है। इस व्यवस्था से रजिस्ट्री के तुरंत बाद बिना किसी परेशानी के पूरे रकबे का नामांतरण ऑनलाइन हो सकेगा। तय समय में रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करने पर संबंधित पटवारी के खिलाफ कार्रवाई भी की जा सकती है।
ऑनलाइन मृत्यु प्रमाण पत्र से नामांतरण प्रक्रिया:
खातेदार की मृत्यु होने पर अब उनके वैध वारिसों को नामांतरण के लिए तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जल्द ही सॉफ्टवेयर को अपग्रेड कर इसे केंद्र सरकार की सीएसआर वेबसाइट से जोड़ा जाएगा, जिससे मृत्यु प्रमाण पत्र में दर्ज आधार नंबर के माध्यम से नामांतरण आवेदन स्वत: तहसीलदार की आइडी पर पहुंच जाएगा
जिला कलेक्ट्रेट, धार
साइबर तहसील 2.0 का लाभ:
इस प्रणाली से किसानों को एक ही आवेदन में नामांतरण और बंटांकन की सुविधा मिलेगी। इसके तहत पटवारी, अपनी रिपोर्ट के साथ प्रस्तावित तरमीम किया हुआ नक्शा भी प्रस्तुत करेगा, जिससे नामांतरण के साथ ही नक्शे में बंटांकन भी हो जाएगा। अब किसानों को पटवारियों को अलग से पैसे देने की जरूरत नहीं होगी।
साइबर तहसील 2.0 की विशेषताएँ:
यह स्वचालित प्रणाली नागरिकों को तहसील के चक्कर लगाने से बचाएगी और तहसील स्तर पर कार्यरत अधिकारियों की कार्य दक्षता को बढ़ाएगी। इससे अविवादित प्रकरणों का त्वरित निराकरण हो सकेगा, जिससे विवादित प्रकरण भी आपसी सहमति से जल्दी सुलझाए जा सकेंगे।
लाखों लोग होंगे लाभान्वित:
साइबर तहसील 2.0 के माध्यम से संपदा से प्राप्त अविवादित आंशिक खसरों के क्रय-विक्रय आधारित नामांतरण प्रकरणों का त्वरित निराकरण संभव हो सकेगा। इससे जिले में 3 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा। पहले जहां नामांतरण प्रक्रिया में 70 से 100 दिन लगते थे, अब यह काम 25 दिनों के भीतर पूरा हो सकेगा