जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गीतकार, कवि गुलजार को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार!
जगतगुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलजार को इस बार का ज्ञानपीठ पुरस्कार मिलेगा। ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने दोनों के नामों को घोषणा कर दी है। उर्दू के लिए मशहूर गीतकार गुलजार और संस्कृत के लिए जगतगुरु रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ सम्मान दिया जाएगा। भारतीय ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने बताया कि प्रसिद्ध कथाकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिभा राय की अध्यक्षता में चयन समिति ने फैसला लिया।
बैठक में ज्ञानपीठ के निदेशक मधुसुदन आनन्द भी शामिल थे। गौरतलब है कि 1944 में भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना की गई थी। वर्ष 1965 से भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की शुरुआत हुई। संस्कृत भाषा को दूसरी बार और उर्दू के लिए पांचवीं बार ज्ञानपीठ पुरस्कार दिया जा रहा है। ज्ञानपीठ पुरस्कार देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान है। विजेताओं को पुरस्कार में 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।
चयन समिति ने उर्दू और संस्कृत के लिए किया एलान
रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में हुआ था. चित्रकूट में रहनेवाले रामभद्राचार्य प्रख्यात विद्वान, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर 1988 से प्रतिष्ठित हैं. रामभद्राचार्य चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं।