नहीं रहे जैन गुरु संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज, रात ढाई बजे ली समाधि
18 फरवरी की सुबह जब लोग जागे तब तक इस सदी के महान संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज हमेशा के लिए सो चुके थे. 18 फरवरी का दिन जैन समुदाय और संत समाज के लिए बेहद कठिन दिन है. आज जैन मुनि संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने समाधि ले ली. बीते कुछ महीनों से छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में विराजमान रहे आचार्य श्री विद्यासागर का लंबे समय से स्वास्थ्य ठीक नहीं था. 3 दिन पहले ही आचार्य श्री ने आचार्य पद अपने शिष्य निर्यापक मुनि श्री समयसागर को सौंप दिया था और समाधि मरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. आचार्य श्री की समाधि से पूरा जैन समुदाय गहरे शोक में है.
3 दिन की समाधि के बाद त्यागी देह
जैन समाज के वर्तमान के वर्धमान कहे जाने वाले संत शिरोमणि विद्यासागर महाराज ने 3 दिन पहले विधि-विधान से समाधि प्रक्रिया प्रारंभ कर दी थी. इसके तहत उन्होंने अन्न-जल का पूर्ण त्याग कर दिया था. इसके बाद 17-18 फरवरी की रात 02:35 मिनट पर आचार्य श्री ने देह त्याग कर दी. आचार्य श्री ने कई वर्षों से नमक, शक्कर, घी, गुड़, तेल आदि का त्याग किया हुआ था.
22 की उम्र में दीक्षा, 26 में बने आचार्य
10 अक्टूबर 1946, शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगाम जिले के सदलगा गांव में एक जैन परिवार में जन्मे बालक विद्याधर की बचपन से ही धर्म में गहरी रुचि थी. जिस घर में उनका जन्म हुआ था, अब वहां एक मंदिर और संग्रहालय है. 4 बेटों में दूसरे नंबर के बेटे विद्याधर ने कम उम्र में ही घर का त्याग कर दिया. 1968 में 22 साल की उम्र में अजमेर में आचार्य शांतिसागर से जैन मुनि के रूप में दीक्षा ले ली. इसके बाद 1972 में महज 26 साल की उम्र में उन्हें आचार्य पद सौंपा गया.
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स कर लिखा- “मुझे वर्षों तक उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सम्मान मिला। मैं पिछले साल के अंत में छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ में चंद्रगिरि जैन मंदिर की अपनी यात्रा को कभी नहीं भूल सकता। उस समय, मैंने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी के साथ समय बिताया था।